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110 posts
इस दिल-ए-नादाँ को है उसी की जुस्तुजू।
इस दिल-ए-नादाँ को है उसी की जुस्तुजू।
Madhu Gupta "अपराजिता"
वजह आज मैं उसको नफ़रत करने की दे आई हूँ।
वजह आज मैं उसको नफ़रत करने की दे आई हूँ।
Madhu Gupta "अपराजिता"
सारी उदासी उसके दिल के कोने में छुपा कर रख आई हूँ।
सारी उदासी उसके दिल के कोने में छुपा कर रख आई हूँ।
Madhu Gupta "अपराजिता"
जहाँ बोलते हुए ना सोचना पड़े,
जहाँ बोलते हुए ना सोचना पड़े,
Madhu Gupta "अपराजिता"
नदिया ख़ारे समुद्र को,
नदिया ख़ारे समुद्र को,
Madhu Gupta "अपराजिता"
"वह कल था"
Madhu Gupta "अपराजिता"
तन्हा उदास छोड़कर,वो दूर जा बैठा।
तन्हा उदास छोड़कर,वो दूर जा बैठा।
Madhu Gupta "अपराजिता"
ना मैं इसे याद करूंगी,ना मैं उसे याद करूंगी।
ना मैं इसे याद करूंगी,ना मैं उसे याद करूंगी।
Madhu Gupta "अपराजिता"
मुझसे आ कर कोई मिलता क्यों नहीं।
मुझसे आ कर कोई मिलता क्यों नहीं।
Madhu Gupta "अपराजिता"
ना कुछ लिखा जा रहा है ना कुछ पढ़ा जा रहा है।
ना कुछ लिखा जा रहा है ना कुछ पढ़ा जा रहा है।
Madhu Gupta "अपराजिता"
बहुत उदासी छा गई, बीच में अंधेरा भी तो आ गया,
बहुत उदासी छा गई, बीच में अंधेरा भी तो आ गया,
Madhu Gupta "अपराजिता"
सारे निशाँ मिटा दिये,कोई गिला न ख़ुद से किया।
सारे निशाँ मिटा दिये,कोई गिला न ख़ुद से किया।
Madhu Gupta "अपराजिता"
"ज़िंदगी सी किताब"
Madhu Gupta "अपराजिता"
आज तेरी बर्बादी का फ़रमान जारी कर आई हूँ।
आज तेरी बर्बादी का फ़रमान जारी कर आई हूँ।
Madhu Gupta "अपराजिता"
"भूले हैं हम रफ़्ता रफ़्ता"
Madhu Gupta "अपराजिता"
बोली लगा दी मैंने उन तमाम ख़्वाबों की।
बोली लगा दी मैंने उन तमाम ख़्वाबों की।
Madhu Gupta "अपराजिता"
भूल गए हम रफ़्ता रफ़्ता ज़ख़्म पुराने आहिस्ता आहिस्ता।
भूल गए हम रफ़्ता रफ़्ता ज़ख़्म पुराने आहिस्ता आहिस्ता।
Madhu Gupta "अपराजिता"
"ना कृष्णा ना राम मिलेंगे"
Madhu Gupta "अपराजिता"
"माँ ब्रह्मचारिणी"
Madhu Gupta "अपराजिता"
"मां चंद्रघंटा"
Madhu Gupta "अपराजिता"
लहरों से उठती यादों का,कोई तो किनारा होगा ही।
लहरों से उठती यादों का,कोई तो किनारा होगा ही।
Madhu Gupta "अपराजिता"
कागज़ कोरा ना  रह जाए,
कागज़ कोरा ना रह जाए,
Madhu Gupta "अपराजिता"
"कल सुबह होगी मुलाकात"
Madhu Gupta "अपराजिता"
गुलिस्ता में जो भँवरा फूल संग चहकता है।
गुलिस्ता में जो भँवरा फूल संग चहकता है।
Madhu Gupta "अपराजिता"
"उस दरवाज़े के अंदर प्रवेश करना कितना दुश्वार हो जाता है जहा
Madhu Gupta "अपराजिता"
"लम्हें कहाँ मिलते हैं"
Madhu Gupta "अपराजिता"
जो करोगे गलत काम तो सिर्फ नर्क के द्वार मिलेंगे।
जो करोगे गलत काम तो सिर्फ नर्क के द्वार मिलेंगे।
Madhu Gupta "अपराजिता"
कर लेने दो थोड़ी नादानियां थोड़ी शरारत भी ज़िंदगी में जरूरी
कर लेने दो थोड़ी नादानियां थोड़ी शरारत भी ज़िंदगी में जरूरी
Madhu Gupta "अपराजिता"
"रिश्तों की मृत्यु"
Madhu Gupta "अपराजिता"
"खुदगर्ज़ ज़माने में जब भी"
Madhu Gupta "अपराजिता"
"सत्य की परीक्षा"
Madhu Gupta "अपराजिता"
"शब्दों में खुशबू"
Madhu Gupta "अपराजिता"
ज़िंदगी और मौत के बीच का फ़ासला,रफ़्ता रफ़्ता घट रहा।
ज़िंदगी और मौत के बीच का फ़ासला,रफ़्ता रफ़्ता घट रहा।
Madhu Gupta "अपराजिता"
"भावना का कोई मोल नहीं"
Madhu Gupta "अपराजिता"
मौसम बदले लोग बदले और बदला संसार।
मौसम बदले लोग बदले और बदला संसार।
Madhu Gupta "अपराजिता"
जो थे कल तक फूल वो आज काँटों में शुमार हो गये।
जो थे कल तक फूल वो आज काँटों में शुमार हो गये।
Madhu Gupta "अपराजिता"
क्यों ख़ाली क्यों उदास रहे.....
क्यों ख़ाली क्यों उदास रहे.....
Madhu Gupta "अपराजिता"
पेड़ सी सादगी दे दो और झुकने का हुनर डालियों से।
पेड़ सी सादगी दे दो और झुकने का हुनर डालियों से।
Madhu Gupta "अपराजिता"
"तेरे द्वार पर"
Madhu Gupta "अपराजिता"
कुछ अच्छे तो कुछ बुरे निकले पर अनुभव बहुत खरे निकले।
कुछ अच्छे तो कुछ बुरे निकले पर अनुभव बहुत खरे निकले।
Madhu Gupta "अपराजिता"
शीश नावती मैं अपना, सुन लो मेरे राम।
शीश नावती मैं अपना, सुन लो मेरे राम।
Madhu Gupta "अपराजिता"
ख़ुदा के फै़सले पे क्या ऐतराज़ करना ।
ख़ुदा के फै़सले पे क्या ऐतराज़ करना ।
Madhu Gupta "अपराजिता"
कदम बढ़ाओ साथ खड़े हैं,कहने वाले मुंह फेरे खड़े हैं।
कदम बढ़ाओ साथ खड़े हैं,कहने वाले मुंह फेरे खड़े हैं।
Madhu Gupta "अपराजिता"
कदम तेरे द्वार पे जब भी मेरे पड़े।
कदम तेरे द्वार पे जब भी मेरे पड़े।
Madhu Gupta "अपराजिता"
"कुछ ऐसा हो जाए"
Madhu Gupta "अपराजिता"
लिया गुलाल हाथ में,
लिया गुलाल हाथ में,
Madhu Gupta "अपराजिता"
नदी से तकल्लुफ़ ना करो वो तो हमेशा प्यास बुझाती है।
नदी से तकल्लुफ़ ना करो वो तो हमेशा प्यास बुझाती है।
Madhu Gupta "अपराजिता"
खुलकर दर्द जा़हिर भी नहीं कर पाते
खुलकर दर्द जा़हिर भी नहीं कर पाते
Madhu Gupta "अपराजिता"
सुना था,एक दोस्त बहुत क़रीब था.....,
सुना था,एक दोस्त बहुत क़रीब था.....,
Madhu Gupta "अपराजिता"
धूप थी छाँव थी फूलों की बेशुमार बहार थी।
धूप थी छाँव थी फूलों की बेशुमार बहार थी।
Madhu Gupta "अपराजिता"
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