नदी से तकल्लुफ़ ना करो वो तो हमेशा प्यास बुझाती है।

नदी से तकल्लुफ़ ना करो वो तो हमेशा प्यास बुझाती है।
चाहती हैं मिलूँ सागर से,मग़र वहाँ पहुँचते-पहुँचते वो सूख जाती हैं।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
नदी से तकल्लुफ़ ना करो वो तो हमेशा प्यास बुझाती है।
चाहती हैं मिलूँ सागर से,मग़र वहाँ पहुँचते-पहुँचते वो सूख जाती हैं।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”