कल मैं चालाक था, इसलिए मैं दुनिया बदलना चाहता था, आज मैं बुद

कल मैं चालाक था, इसलिए मैं दुनिया बदलना चाहता था, आज मैं बुद्धिमान हूँ, इसलिए मैं अपने आप को बदल रहा हूँ।
पुतला दहन से कुछ नही होने वाला जब तक आप खुद के अंदर की बुराईयों को दहन करने का प्रण नही ले लेते।