कुंडलिया पुष्पा-2
कुंडलिया पुष्पा-2
देखा मैंने गर्त में, जाता हुआ समाज।
सबका नायक बन गया, तस्कर पुष्पा राज।।
तस्कर पुष्पा राज, पुलिस से पड़ता पाला।
कहता गर्दन ऐंठ, कौन हैं झुकता साला!।।
कह बाबा शर्माय, भाग्य का अद्भुत लेखा।
भूँखा सोता देश, स्वप्न पर लुटते देखा।।
©दुष्यंत ‘बाबा’