Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2024 · 1 min read

4710.*पूर्णिका*

4710.*पूर्णिका*
🌷 अपनों से अलग नहीं समझा🌷
22 22 22 22
अपनों से अलग नहीं समझा ।
सपनों से अलग नहीं समझा ।।
ह्रदय सुवासित बगियां अपनी।
सुमनों से अलग नहीं समझा ।।
चीर कलेजा हर चीज दिया।
दुश्मनों से अलग नहीं समझा ।।
नेक हस्ती देख मस्ती करते।
रजनों से अलग नहीं समझा ।।
साथ रहेगा उम्रभर खेदू।
वचनों से अलग नहीं समझा ।।
…….✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
19-10-2024शनिवार

43 Views

You may also like these posts

एक सवाल जिंदगी से...(सयाली छंद)
एक सवाल जिंदगी से...(सयाली छंद)
पं अंजू पांडेय अश्रु
2978.*पूर्णिका*
2978.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मोरल for लाईफ
मोरल for लाईफ
पूर्वार्थ
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
Rj Anand Prajapati
परीक्षा ही बदले राहें
परीक्षा ही बदले राहें
डॉ. शिव लहरी
प्रसन्नता
प्रसन्नता
Rambali Mishra
वो काल है - कपाल है,
वो काल है - कपाल है,
manjula chauhan
लिफाफा देखकर पढ़ते
लिफाफा देखकर पढ़ते
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
याद में
याद में
sushil sarna
दीप बनकर तुम सदा जलते रहो फिर नहीं होगा तिमिर का भान भी
दीप बनकर तुम सदा जलते रहो फिर नहीं होगा तिमिर का भान भी
Dr Archana Gupta
आये हो तुम मेरे अंगना
आये हो तुम मेरे अंगना
Buddha Prakash
ठंड से काँपते ठिठुरते हुए
ठंड से काँपते ठिठुरते हुए
Shweta Soni
दस्तक
दस्तक
Satish Srijan
शायरी
शायरी
Sandeep Thakur
कुछ हकीकत कुछ फसाना और कुछ दुश्वारियां।
कुछ हकीकत कुछ फसाना और कुछ दुश्वारियां।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"महान ज्योतिबा"
Dr. Kishan tandon kranti
नियति
नियति
Shyam Sundar Subramanian
*पढ़ने का साधन बना , मोबाइल का दौर (कुंडलिया)*
*पढ़ने का साधन बना , मोबाइल का दौर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
एक समय के बाद
एक समय के बाद
हिमांशु Kulshrestha
बसंत
बसंत
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
सजा मेरे हिस्से की उनको बस इतनी ही देना मेरे मौला,
सजा मेरे हिस्से की उनको बस इतनी ही देना मेरे मौला,
Vishal babu (vishu)
मछली रानी
मछली रानी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
बल से दुश्मन को मिटाने
बल से दुश्मन को मिटाने
Anil Mishra Prahari
दिल धड़क उठा
दिल धड़क उठा
Surinder blackpen
मंद बुद्धि
मंद बुद्धि
Shashi Mahajan
बदली बदली सी फिज़ा रुख है,
बदली बदली सी फिज़ा रुख है,
goutam shaw
28. बेघर
28. बेघर
Rajeev Dutta
😊सुप्रभातम😊
😊सुप्रभातम😊
*प्रणय*
ऐसी दिवाली कभी न देखी
ऐसी दिवाली कभी न देखी
Priya Maithil
Loading...