Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Mar 2024 · 1 min read

सत्य से परिचय

अभी सत्य से परिचय होना है

यह जीवन बस एक यात्रा है
हम यात्री हैं जीवन-पथ के
गंतव्य से परिचय होना है,

वह शून्य सनातन है जिसमें
सबको विलीन हो जाना है
इस तथ्य से परिचय होना है

नाटक जारी है जीवन का
हम कलाकार इस मंच के हैं
नेपथ्य से परिचय होना है,

निकृष्ट, तुच्छ, अज्ञानी हैं
हम क्या जाने ,ये सत्य है क्या
भवितव्य से परिचय होना है।

1 Like · 60 Views
Books from Shweta Soni
View all

You may also like these posts

हार से भी जीत जाना सीख ले।
हार से भी जीत जाना सीख ले।
सत्य कुमार प्रेमी
बाल कविता –
बाल कविता –
पूनम दीक्षित
यादों की शमा जलती है,
यादों की शमा जलती है,
Pushpraj Anant
मोहब्बत ने आज हमको रुला दिया
मोहब्बत ने आज हमको रुला दिया
Jyoti Roshni
गमों के बीच मुस्कुराने की आदत डालो।
गमों के बीच मुस्कुराने की आदत डालो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
फूल खिले हैं डाली-डाली,
फूल खिले हैं डाली-डाली,
Vedha Singh
आजादी का उत्सव
आजादी का उत्सव
Rambali Mishra
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Shyam Sundar Subramanian
काश जज्बात को लिखने का हुनर किसी को आता।
काश जज्बात को लिखने का हुनर किसी को आता।
Ashwini sharma
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
यूँ तो बिखरे हैं
यूँ तो बिखरे हैं
हिमांशु Kulshrestha
राधेश्यामी छंद‌ (मत्त सवैया ) विधान (सउदाहरण )
राधेश्यामी छंद‌ (मत्त सवैया ) विधान (सउदाहरण )
Subhash Singhai
*मैं और मेरी चाय*
*मैं और मेरी चाय*
sudhir kumar
అతి బలవంత హనుమంత
అతి బలవంత హనుమంత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कोई बाहों में होकर भी दिल से बहुत दूर था,
कोई बाहों में होकर भी दिल से बहुत दूर था,
Ravi Betulwala
लोकशैली में तेवरी
लोकशैली में तेवरी
कवि रमेशराज
हल्के किरदार अक्सर घाव गहरे दे जाते हैं।
हल्के किरदार अक्सर घाव गहरे दे जाते हैं।
अर्चना मुकेश मेहता
3256.*पूर्णिका*
3256.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जितनी  ज्यादा   चाह  परिंदे।
जितनी ज्यादा चाह परिंदे।
पंकज परिंदा
With and without.
With and without.
Priya princess panwar
* बचपन *
* बचपन *
भूरचन्द जयपाल
,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इश्क का बाजार
इश्क का बाजार
Suraj Mehra
My biggest fear is attachment.
My biggest fear is attachment.
पूर्वार्थ
अफसोस मुझको भी बदलना पड़ा जमाने के साथ
अफसोस मुझको भी बदलना पड़ा जमाने के साथ
gurudeenverma198
लेखनी से आगे का स्त्रीवाद
लेखनी से आगे का स्त्रीवाद
Shweta Soni
आतंक, आत्मा और बलिदान
आतंक, आत्मा और बलिदान
Suryakant Dwivedi
ଅନୁଶାସନ
ଅନୁଶାସନ
Bidyadhar Mantry
..
..
*प्रणय*
Loading...