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23 Jan 2024 · 1 min read

मुक़म्मल तो नहीं कोई बड़ा नादान समझे जो

मुक़म्मल तो नहीं कोई बड़ा नादान समझे जो
सिखाता वक़्त हरपल है करे वो मान समझे जो

आर. एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- मुक़म्मल- संपूर्ण, मान- इज़्ज़त

Language: Hindi
1 Like · 433 Views
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