*छात्र आजकल शेर, छात्र मुर्गा कब बनते (हास्य कुंडलिया)*

छात्र आजकल शेर, छात्र मुर्गा कब बनते (हास्य कुंडलिया)
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मुर्गा बनते थे कभी, बनना था इंसान
छात्रों के था भाग्य में, मानो लिखा विधान
मानो लिखा विधान, दौर अब बदला सारा
विद्यालय में आज, कौन मुर्गा बेचारा
कहते रवि कविराय, छात्र शिक्षक पर तनते
छात्र आजकल शेर, छात्र मुर्गा कब बनते
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451