'प्रीतम' का नज़राना : ग़ज़ल-संग्रह
आर.एस. 'प्रीतम'
ग़ज़ल में व्यक्तिगत और सामाजिक दर्द, इश्क़, सुकून, प्रेरणा, संभावना, आशा, प्रकृति के प्रति चिंतन, देश-भक्ति, उलझन, सुलझन सभी मनोभावों को समाहित करने की ताक़त है। 'प्रीतम का नज़राना' ग़ज़ल-संग्रह में मैंने हर रंग को जीने की कोशिश की है।