खुलकर दर्द जा़हिर भी नहीं कर पाते

खुलकर दर्द ज़ाहिर भी नहीं कर पाते
और छुपाने की मशक़्क़त भी बेकार जाती
जब भी देखता कोई पढ़ लेता चेहरा
और हम मुस्करा कर रह जाते ख़ाली।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
खुलकर दर्द ज़ाहिर भी नहीं कर पाते
और छुपाने की मशक़्क़त भी बेकार जाती
जब भी देखता कोई पढ़ लेता चेहरा
और हम मुस्करा कर रह जाते ख़ाली।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”