इस दिल-ए-नादाँ को है उसी की जुस्तुजू।

इस दिल-ए-नादाँ को है उसी की जुस्तुजू।
और उसी से हैं शिकायतें हज़ार ना जाने क्यों।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
इस दिल-ए-नादाँ को है उसी की जुस्तुजू।
और उसी से हैं शिकायतें हज़ार ना जाने क्यों।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”