।।स्नेह का बन्धन।।

।।स्नेह का बन्धन।।
मेरे दिल के आंगन में,
बस प्रेम ही प्रेम समाया है।
अपनो के दुखों ने,
मुझको बहुत रुलाया है।
बात करुँ इस दुनिया की,
मेरे मन को,
फूलों सा महकाया है।
प्रेम प्रीत की रीत यही है,
प्यारे भगवन ने हम सबकी खातिर
स्नेह का बन्धन जैसा फूल खिलाया है।
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”