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4 Jul 2021 · 2 min read

पुरइन के पतई

पुरइन के पतई

◆◇◇◆◇◇◆◇◇◆◇◇◆◇◇◆◇◇◆
दाली में नेह समाइल आ भाते में प्यार सनाइल हो
ऊ याद बहुत आवेला पुरइन के पतई पर खाइल हो

नाश्ता में सेव चले केरा बुनिया बरफी लड्डू गाजा
अंगूर रहे चिकन चिकन नमकीन चले ताजा ताजा
कोशा के जल के शीतलता बा जाने कहाँ भिलाइल हो-
ऊ याद बहुत आवेला पुरइन के पतई पर खाइल हो

नीचे एके गो पाँती में लोगवा सब के बइठावल जा
परवल के सब्जी दही भात दाली में घीउ चलावल जा
पापड़ में प्रेम रहे येतना मन खुश हो जा मुरझाइल हो-
ऊ याद बहुत आवेला पुरइन के पतई पर खाइल हो

अब हाथे हाथे थाली ले येने ओने सब धावेला
आ खुद से सभे परोसेला पूछे ना केहू आवेला
बिन पानी भोजन खड़े खड़े कइसन रिवाज उपराइल हो-
ऊ याद बहुत आवेला पुरइन के पतई पर खाइल हो

आवे जब नाच लगे जमघट आ खूबे मौज मनावल जा
ना तनिको रहे दुराव कहीं बस खाली नेह लुटावल जा
आरकेस्टा आवेला अब त मनवा रहे डेराइल हो-
ऊ याद बहुत आवेला पुरइन के पतई पर खाइल हो

जनवासा शिष्टाचार मिलन शादी के रसम निभावल जा
बाराती लो के स्वागत में गारी सनेह के गावल जा
अब डी जे वाली झगरा में बा थाना सउँसे आइल हो-
ऊ याद बहुत आवेला पुरइन के पतई पर खाइल हो

जब होत सबेरा दही जिलेबी चिउरा साथे पावल जा
आ कहीं कहीं मरजाद रहे दू दिन ले मज़ा उठावल जा
अधरतिये के जाये खातिर अब लोग रहे अगुताइल हो-
ऊ याद बहुत आवेला पुरइन के पतई पर खाइल हो

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 27/08/2019

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