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8 Feb 2024 · 1 min read

सारी उपमा

सारी उपमा
पस्त हो गई
तुमको किस उपमा से जोडूं
प्रिय मुझे तुम
खुद से ज्यादा
कभी तुम्हारा साथ न छोडूं

तुम दीपक से
अंधकार में
हो औषध
मन के विकार में
तुम शीतलता
ताप भूमि में
तुम उपवन से
मरुभूमि में

तिलक लगाएं
विजय तुम्हारे
दशो दिशाएं
तुम्हे पुकारे
पांव पखारे
रस्ते सम्मुख
शूल मिटाए
चेहरा हंसमुख

खिलता तुमको देख के सावन
तुम हो चंदा
तुम मनभावन
Priya ✍️

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