जो सृजन करता है वही विध्वंश भी कर सकता है, क्योंकि संभावना अ
न दें जो साथ गर्दिश में, वह रहबर हो नहीं सकते।
मुकाम तक जाती हुईं कुछ ख्वाइशें
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
चलो आज वक्त से कुछ फरियाद करते है....
चांद सितारों सी मेरी दुल्हन
बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
सारे दुख दर्द होजाते है खाली,
मौजूदा ये साल मयस्ससर हो जाए
If you ever need to choose between Love & Career
बहुत दाम हो गए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी