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20 Jan 2025 · 1 min read

मोहब्बत की सज़ा

क्यों लोग मोहब्बत की सज़ा ढूंढ रहे हैं।
बेग़ैरत से रकीबों में वफ़ा ढूंढ रहे हैं ।

तंग आ गये कशमकश ए जिंदगी से हम
आलम है ये कोई नयी क़जा ढूंढ रहे हैं

क्यों फैलाए हम अपना दामन खैरात को
हम तो बस थोड़ी सी दुआ ढूंढ रहे हैं।

ख्वाहिशें नाजिल हुई ऐसे ,फंसे भंवर में
जो पार लगा दे ,वो नाखुदा ढूंढ रहे‌ है

थक गये है बार बार करके हम सजदे
अपने मुताबिक हम तो खुदा ढूंढ रहे हैं

सुरिंदर कौर

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