Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2024 · 1 min read

चांद देखा

चांद देखा

तारों की रोशनी,

मन की गहराई,

ना जाने कितना शोर,

मगर रात की चुप्पी से,

चाँद को देखा…..

आसमां की गोद में बैठा,

सितारों के बीच ,

बस एक तरफ चमकता…

सोचा, वो भी तन्हा है,

देखा खूबसूरती,

पर उदासी, कुरूपता

नजरअंदाज की

हाँ, देखा ……

सागर में ऊफान,

व्याकुल कोमल धरती से ,

चाँद को देखा…

तन्हाई का शोर,

गूंजता , ठोकर खाता

चांद की चांदनी,

बादल से उलझे,

फिर से सुलझे,

मेरी साँसें मुस्काई ,

हां….आज मैंने

चांद देखा……।

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 115 Views
Books from goutam shaw
View all

You may also like these posts

सूर्य वंदना
सूर्य वंदना
Nitin Kulkarni
मैं बुलाऊं तो तुम आओगे ना,
मैं बुलाऊं तो तुम आओगे ना,
Jyoti Roshni
इस सोच को हर सोच से ऊपर रखना,
इस सोच को हर सोच से ऊपर रखना,
Dr fauzia Naseem shad
नीम की झूमती डाल के पार
नीम की झूमती डाल के पार
Madhuri mahakash
#आज_का_दोहा
#आज_का_दोहा
*प्रणय*
शुरुआत
शुरुआत
goutam shaw
* खुशियां मनाएं *
* खुशियां मनाएं *
surenderpal vaidya
किस्त
किस्त
Diwakar Mahto
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
ग़लती कर रहे कि सही,
ग़लती कर रहे कि सही,
Ajit Kumar "Karn"
4463.*पूर्णिका*
4463.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
” सपनों में एक राजकुमार आता था “
” सपनों में एक राजकुमार आता था “
ज्योति
No love,only attraction
No love,only attraction
Bidyadhar Mantry
अपनी अपनी बहन के घर भी आया जाया करो क्योंकि माता-पिता के बाद
अपनी अपनी बहन के घर भी आया जाया करो क्योंकि माता-पिता के बाद
Ranjeet kumar patre
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं मज़दूर हूँ
मैं मज़दूर हूँ
कुमार अविनाश 'केसर'
इंसान को,
इंसान को,
नेताम आर सी
"जीवन का निचोड़"
Dr. Kishan tandon kranti
गॉड पार्टिकल
गॉड पार्टिकल
Girija Arora
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
साहित्य सृजन की यात्रा में :मेरे मन की बात
साहित्य सृजन की यात्रा में :मेरे मन की बात
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
तुम्हें लिखना आसान है
तुम्हें लिखना आसान है
Manoj Mahato
ऐ मौत
ऐ मौत
Ashwani Kumar Jaiswal
गूंगा ज़माना बोल रहा है,
गूंगा ज़माना बोल रहा है,
Bindesh kumar jha
स्पर्श
स्पर्श
Satish Srijan
बस प्रेम तक है, बाकी प्रेम का प्रेमविवाह में बदलने के प्रोसे
बस प्रेम तक है, बाकी प्रेम का प्रेमविवाह में बदलने के प्रोसे
पूर्वार्थ
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
शेखर सिंह
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
हाँ !भाई हाँ मैं मुखिया हूँ
हाँ !भाई हाँ मैं मुखिया हूँ
SATPAL CHAUHAN
जनता मुफ्त बदनाम
जनता मुफ्त बदनाम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Loading...