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6 May 2024 · 1 min read

जाये तो जाये कहाँ, अपना यह वतन छोड़कर

जाये तो जाये कहाँ, वतन यह अपना छोड़कर।
जायेंगे हम ना कहीं, चमन यह अपना छोड़कर।।
हम खुश हैं यहीं, हाँ हम खुश हैं यहीं।।
जाये तो जाये कहाँ ————————–।।

प्यार हमें मिलता है बहुत, यहाँ सभी से सदा।
मिलती है इमदाद बहुत, यहाँ सभी से सदा।।
कहाँ मिलेगा सम्मान इतना, इस जमीं के सिवा।
हम खुश हैं यहीं, हाँ हम खुश हैं यहीं।।
जाये तो जाये कहाँ————————-।।

पाला है हमको जन्म से, इस धरती ने प्यार से।
किया है दूर दुःख हमारा, उस धरती ने प्यार से।।
यही तो हमारी है माता, ममता की छाँव ऐसी कहाँ।
हम खुश हैं यहीं, हाँ हम खुश हैं यहीं।।
जाये तो जाये कहाँ————————।।

हमारे लिए तो यही है, स्वर्ग- शान्ति और अमन।
जान से प्यारा है हमें, यह वतन और यह चमन।।
होने नहीं देंगे बर्बाद इसको, ऐसा जहां है कहाँ।
हम खुश हैं यहीं, हाँ हम खुश हैं यहीं।।
जाये तो जाये कहाँ————————।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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