शीश नावती मैं अपना, सुन लो मेरे राम।

शीश नावती मैं अपना, सुन लो मेरे राम।
तेरा द्वार बना हैं मेरा, अब तो चारों धाम।।
नहीं चाहिए मुझको अब, झूठी कोई भी शान।
कर लो शामिल अपने में, हो जाए कल्याण।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
✍️✍️
शीश नावती मैं अपना, सुन लो मेरे राम।
तेरा द्वार बना हैं मेरा, अब तो चारों धाम।।
नहीं चाहिए मुझको अब, झूठी कोई भी शान।
कर लो शामिल अपने में, हो जाए कल्याण।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
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