Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 1 min read

कोरोना

कोरोना ने खोली आँखें,
जगा दी प्रेम की आशा,
सलामी देते है उनको,
जिन्होंने की बड़ी सेवा,
डॉक्टर हो या नर्से हो,
करू शत शत नमन उनको,
बचा की रूह हम सबकी,
जगा दी जीने की आशा,
कोरोना ने खोली आँखें ……

अहम् की भावना ही तो
बढ़ाती है बड़ा अंतर,
हम सब एक है यह बात
आती ही नहीं नज़र,
हो मिल जाए ये सृष्टी तो,
न होगा फिर कभी तांडव,
हाँ होगी राम राज्य की
भावना भी यहाँ प्रखर ।।

84 Views
Books from Nitesh Shah
View all

You may also like these posts

यूं सांसों का वजूद भी तब तक होता है,
यूं सांसों का वजूद भी तब तक होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
काँटों ने हौले से चुभती बात कही
काँटों ने हौले से चुभती बात कही
Atul "Krishn"
"महापाप"
Dr. Kishan tandon kranti
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
Khaimsingh Saini
* सखी  जरा बात  सुन  लो *
* सखी जरा बात सुन लो *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
__________________
__________________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
पढ़ लेना मुझे तुम किताबों में..
पढ़ लेना मुझे तुम किताबों में..
Seema Garg
समझ ना आया
समझ ना आया
Dinesh Kumar Gangwar
शीर्षक: स्वप्न में रोटी
शीर्षक: स्वप्न में रोटी
Kapil Kumar Gurjar
बेटी - मुक्तक
बेटी - मुक्तक
लक्ष्मी सिंह
प्रेम के चेहरे
प्रेम के चेहरे
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
अपना नैनीताल...
अपना नैनीताल...
डॉ.सीमा अग्रवाल
लो ना यार
लो ना यार
RAMESH Kumar
*जंगल की आग*
*जंगल की आग*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कटु सत्य....
कटु सत्य....
Awadhesh Kumar Singh
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
Keshav kishor Kumar
"आधी है चन्द्रमा रात आधी "
Pushpraj Anant
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
Ajit Kumar "Karn"
#लघु कविता
#लघु कविता
*प्रणय*
चाय की चमक, मिठास से भरी,
चाय की चमक, मिठास से भरी,
Kanchan Alok Malu
बारिश की बूंदें और मिडिल क्लास।
बारिश की बूंदें और मिडिल क्लास।
Priya princess panwar
याद रख कर तुझे दुआओं में,
याद रख कर तुझे दुआओं में,
Dr fauzia Naseem shad
9. पहचान
9. पहचान
Lalni Bhardwaj
4510.*पूर्णिका*
4510.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ईश्वर शरण सिंघल मुक्तक
ईश्वर शरण सिंघल मुक्तक
Ravi Prakash
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
पूर्वार्थ
मिलते हैं...
मिलते हैं...
ओंकार मिश्र
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
Loading...