Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2024 · 1 min read

ग़ज़ल सगीर

मुझको छोड़कर जाने वाले,साथ अगर हो जाएगा।
कच्चा पक्का ईंट इ़मारत फिर ये घर हो जाएगा।

मेहनत मज़दूरी करके पाल रहा हूं बच्चों को।
आज अभी है नन्हा पौधा कल यह शजर¹ हो जाएगा।

आज मोहब्बत के बदले में बांट रहे जो नफ़रत को।
मैं बेघर हो जाऊंगा तो,तू बेघर हो जाएगा।

मुझको यह एहसास नहीं था तेरी मोहब्बत से पहले।
मुझको शीशा कर देगा और तू पत्थर हो जाएगा।

मुझ पर कैसी गुज़री है तुझको यह एहसास नहीं।
तू रुदादे ग़म² सुन ले तो,आंचल तर हो जायेगा।

“सगी़र” शहादत³ का दर्जा⁴ आ़ला से भी ऊ़ला⁵ है।
मुल्क के खा़तिर सर जो कटे वो ऊंचा सर हो जाएगा।

शब्दार्थ

1 वृक्ष/ पेड़
2 मार्मिक कथा,दुख भरी कहानी
3 बलिदान
4 श्रेणी,श्रेष्ठता क्रम
5 उच्च से उच्चतम
शायर
Dr सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच

2 Likes · 129 Views

You may also like these posts

" कथ्य "
Dr. Kishan tandon kranti
कौन हो तुम
कौन हो तुम
हिमांशु Kulshrestha
चल विजय पथ
चल विजय पथ
Satish Srijan
यदि है कोई परे समय से तो वो तो केवल प्यार है
यदि है कोई परे समय से तो वो तो केवल प्यार है " रवि " समय की रफ्तार मेँ हर कोई गिरफ्तार है
Sahil Ahmad
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
चाँद और इन्सान
चाँद और इन्सान
Kanchan Khanna
*कौन है इसका जिम्मेदार?(जेल से)*
*कौन है इसका जिम्मेदार?(जेल से)*
Dushyant Kumar
सबसे सुगम हिन्दी
सबसे सुगम हिन्दी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
दोहे
दोहे
Rambali Mishra
खोज करो तुम मन के अंदर
खोज करो तुम मन के अंदर
Buddha Prakash
बाढ़
बाढ़
Dr. Vaishali Verma
"हर खुशी के लिए एक तराना ढूंढ लेते हैं"
राकेश चौरसिया
भावो को पिरोता हु
भावो को पिरोता हु
भरत कुमार सोलंकी
.पुराना कुछ भूलने के लिए
.पुराना कुछ भूलने के लिए
पूर्वार्थ
सफर वो जिसमें कोई हमसफ़र हो
सफर वो जिसमें कोई हमसफ़र हो
VINOD CHAUHAN
विवाहोत्सव
विवाहोत्सव
Acharya Rama Nand Mandal
कुछ पुरुष होते है जिन्हें स्त्री के शरीर का आकर्षण नहीं बांध
कुछ पुरुष होते है जिन्हें स्त्री के शरीर का आकर्षण नहीं बांध
Ritesh Deo
ऐसा लगा कि हम आपको बदल देंगे
ऐसा लगा कि हम आपको बदल देंगे
Keshav kishor Kumar
किसी से इश्क़ मत करना
किसी से इश्क़ मत करना
SURYA PRAKASH SHARMA
किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
अंसार एटवी
मैं दिया बन जल उठूँगी
मैं दिया बन जल उठूँगी
Saraswati Bajpai
हजारों खिलजी
हजारों खिलजी
अमित कुमार
मै ही क्यूं !?
मै ही क्यूं !?
Roopali Sharma
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
Dr Archana Gupta
अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
Lokesh Sharma
शब्द अनमोल मोती
शब्द अनमोल मोती
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
*जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/
*जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/
Ravi Prakash
बहु बहु रे बयार।
बहु बहु रे बयार।
Kumar Kalhans
मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..!
मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..!
पंकज परिंदा
4774.*पूर्णिका*
4774.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...