Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2024 · 1 min read

सबसे सुगम हिन्दी

सबसे सुगम हिन्दी
कहें सबसे सुगम हिन्दी सभी को देख भाती है।
सदा तुलसी महादेवी सरिस का मान पाती है ।।
युगों से देख हिन्दी ही रही साहित्य की भाषा।
कभी कविता कहानी बन सभी को ये रिझाती है।।
सुनाती लोक रंजन बात गाथा में महाजन के।
कभी सीता कभी राधा सभी की पीर गाती है।।
सभी से उच्च है हिन्दी लिए हर ज्ञान ये देखो।
यही विज्ञान के भी पाठ को सबको पढ़ाती है।।
बने हिन्दी हमारी लोक में सर्वोच्च सबसे यह।
हमारे देश की भाषा सभी का मन लुभाती है।।
विदेशी पर मरे बैठे नहीं कुछ मान हैं करते।
गुलामों की यही बातें बहुत मन को दुखाती है।।
बनाकर राष्ट्र भाषा अब करें सत्कार हम इसका।
बढ़ेगा मान सबका ही यही दुनिया बताती है ।।
चलो मिलकर करें अब पूर्ण यह सपना हमारा अब।
बने हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा ये सुनाती है।।
डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली

144 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sarla Sarla Singh "Snigdha "
View all

You may also like these posts

नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
Raju Gajbhiye
बख़ूबी समझ रहा हूॅं मैं तेरे जज़्बातों को!
बख़ूबी समझ रहा हूॅं मैं तेरे जज़्बातों को!
Ajit Kumar "Karn"
फनीश्वरनाथ रेणु के जन्म दिवस (4 मार्च) पर विशेष
फनीश्वरनाथ रेणु के जन्म दिवस (4 मार्च) पर विशेष
Paras Nath Jha
" तोहफा "
Dr. Kishan tandon kranti
झुलस
झुलस
Dr.Pratibha Prakash
इन नेताओं के चेहरे में कई चेहरे छिपे हुए।
इन नेताओं के चेहरे में कई चेहरे छिपे हुए।
Rj Anand Prajapati
ना तुझ में है, ना मुझ में है
ना तुझ में है, ना मुझ में है
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
Shashi kala vyas
कोई दुख नहीं
कोई दुख नहीं
Meera Thakur
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
Phool gufran
खेल
खेल
Sushil chauhan
नव वर्ष मंगलमय हो
नव वर्ष मंगलमय हो
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बसंत की छटा
बसंत की छटा
अरशद रसूल बदायूंनी
यक्षिणी-18
यक्षिणी-18
Dr MusafiR BaithA
रास्ते अनेको अनेक चुन लो
रास्ते अनेको अनेक चुन लो
उमेश बैरवा
मेहमान रात के
मेहमान रात के
Godambari Negi
मेरे अल्फाजों के
मेरे अल्फाजों के
हिमांशु Kulshrestha
माँ i love you ❤ 🤰
माँ i love you ❤ 🤰
Swara Kumari arya
■ ताज़ा शेर ■
■ ताज़ा शेर ■
*प्रणय प्रभात*
आशा की किरण
आशा की किरण
Neeraj Kumar Agarwal
শিবকে নিয়ে লেখা গান
শিবকে নিয়ে লেখা গান
Arghyadeep Chakraborty
ये तलाश सत्य की।
ये तलाश सत्य की।
Manisha Manjari
मुखौटे
मुखौटे
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
वक्त निकल जाने के बाद.....
वक्त निकल जाने के बाद.....
ओसमणी साहू 'ओश'
तुम भी जनता मैं भी जनता
तुम भी जनता मैं भी जनता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"उडना सीखते ही घोंसला छोड़ देते हैं ll
पूर्वार्थ
मतवाला
मतवाला
Deepesh Dwivedi
कविता
कविता
Nmita Sharma
बढ़ते मानव चरण को
बढ़ते मानव चरण को
manorath maharaj
आज खुशी भर जीवन में।
आज खुशी भर जीवन में।
लक्ष्मी सिंह
Loading...