औरत ( शीर्षक )
स्त्री देह पर
चूल्हे का पकना
{ एक औरत होना है }
ज़िम्मेदारियों के चंद्रमा पर
सृजन होना है
{ उदर का पहाड़ होना है }
तेरी गोद में बैठा भविष्य
छाती उड़ेल देना
{ अर्थात देश होना है }
पर शब्दों के दीवारों पर
बुनी हुई कविताएँ
{ कन्या भ्रूण की हत्या! }
स्त्रियों के इच्छाओं का मरना
लाश होना है
{ मानव विलुप्ती होना है }
चूल्हे में जले हुये लकड़ियों का राख होना
{ जिसे पानी के छीटें मारकर बुझाया गया }
एक स्त्री की मौत!
वरुण सिंह गौतम