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27 Jan 2025 · 1 min read

अब के कविताओं में वो पहसे सी बात नहीं...

अब के कविताओं में वो पहले सी बात नहीं,
तेरी बातें, तेरे झुठे जज्बात नहीं,
हम तो निकले थे तेरी खोज में,
पहुँच जाते मंजिल तक ऐसी तेरे पते की कोई ही औकात नहीं,
अब कविताओं में वो पहले सी बात नहीं…

बरसों से बिगड़ी घड़ी को हमने बनवाया ही नहीं,
तेरी कमीज का जो टूटा बटन था
उसे फिर कभी टाँका ही नहीं,
धूल ही जमीं रहने दी तेरी यादों की रझाई पर
क्योंकि
अब के मुहब्बत का कोई ऋत आया ही नहीं,
अब के कविताओं में वो पहले सी बात नहीं…

रंग भी देखा, रूप भी देखा,
सुरत से सीरत तक देखा,
तुझ में तुझ सा कुछ भी नजर आया ही नहीं,
पन्नों पन्नों पर तेरी बेवफाई का दस्तावेज तो था,
पर मुकदमा तेरे खिलाफ कहीं कोई चला ही नहीं,
अब के कविताओं में वो पहले सी बात ही नहीं…
#केएस

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