Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2022 · 1 min read

एक वीर सैनिक का ताबूत

लो एक और ताबूत आया जंग ए मैदान से ,
जैसे एक डोली आई सज के कई फूलों से ।

बज उठी सैन्य धुन उसके स्वागत के साथ ,
गुणगान हुआ उसकी असीम शौर्य गाथा से।

कुर्बान हो गया मगर देश का मान बढ़ा गया,
अमर शहीदों में नाम लिखवाया अपने लहू से।

मगर कुर्बानी केवल जान की ही नहीं उसने दी,
उसने वतन के लिए मुंह मोड़ा अपने हर सुख से ।

भाई बहन ,माता पिता का दुलार छोड़ा उसने ,
अपने फर्ज के लिए नाता तोड़ा घर संसार से ।

अपनी अजन्मी संतान के प्रति दो टूक कलेजा रख,
अपनी पत्नी को अलविदा कहा उसने द्वार ही से ।

इस ताबूत में बंद है एक नवविवाहित युवा का शव,
जिसने मुंह मोड़ा अपनी हर खुशी और अरमान से।

धन्य हुई भारत माता अपने ऐसे वीर सपूत पाकर,
जिन्होंने इसका आंचल रंगा अपने ही खून से ।

4 Likes · 8 Comments · 298 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all

You may also like these posts

हमसफ़र
हमसफ़र
Sudhir srivastava
"सुविधाओं के अभाव में रह जाते हैं ll
पूर्वार्थ
सब के सब
सब के सब
Dr fauzia Naseem shad
योग
योग
Rambali Mishra
करते हो करते रहो, मुझे नजर अंदाज
करते हो करते रहो, मुझे नजर अंदाज
RAMESH SHARMA
जब लिखती हूँ मैं कविता
जब लिखती हूँ मैं कविता
उमा झा
तुम काफ़ी हो
तुम काफ़ी हो
Rekha khichi
शरीफों में शराफ़त भी दिखाई हमने,
शरीफों में शराफ़त भी दिखाई हमने,
Ravi Betulwala
ऐसा घर चाहिए......
ऐसा घर चाहिए......
Jyoti Roshni
संगम
संगम
श्रीहर्ष आचार्य
प्रेम दया वैसे रहे,
प्रेम दया वैसे रहे,
संजय निराला
सूरज बहुत चढ़ आया हैं।
सूरज बहुत चढ़ आया हैं।
अश्विनी (विप्र)
4216💐 *पूर्णिका* 💐
4216💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मौन  की भाषा सिखा दो।
मौन की भाषा सिखा दो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अधि वर्ष
अधि वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"संयम"
Dr. Kishan tandon kranti
मन माही
मन माही
Seema gupta,Alwar
दरिंदगी के ग़ुबार में अज़ीज़ किश्तों में नज़र आते हैं
दरिंदगी के ग़ुबार में अज़ीज़ किश्तों में नज़र आते हैं
Atul "Krishn"
मुक्तक
मुक्तक
surenderpal vaidya
◆कुटिल नीति◆
◆कुटिल नीति◆
*प्रणय प्रभात*
जगत कथा
जगत कथा
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
पुछ रहा भीतर का अंतर्द्वंद
पुछ रहा भीतर का अंतर्द्वंद
©️ दामिनी नारायण सिंह
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
SUNIL kumar
तेरी नज़र से बच के जाएं
तेरी नज़र से बच के जाएं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इबादत!
इबादत!
Pradeep Shoree
प्रकृति को जो समझे अपना
प्रकृति को जो समझे अपना
Buddha Prakash
जीत और हार ज़िंदगी का एक हिस्सा है ,
जीत और हार ज़िंदगी का एक हिस्सा है ,
Neelofar Khan
रहस्य-दर्शन
रहस्य-दर्शन
Mahender Singh
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कविता
कविता
Nmita Sharma
Loading...