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15 Feb 2024 · 1 min read

मन माही

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मन माही

प्रीत पिया प्रेम रंग से रंगी

बात नित नेह वचन से कही

रोज रोज ये सुनकर मै…प्रिय प्रियतम

निखरती दिनों-दिन जा रही

जैसे चांद से चांदनी खिले

हवा में खुशबू बहे

बिल्कुल ऐसे ही मैं

तेरी प्रीत में बह रही।

हमसफ़र मेरे सुन

भाग-दौड़,झिकपिक से परे

चलें अब दूर कहीं .. जहां

तेरे-मेरे सिवा कोई और हो नही

गीत अनुराग के सुनाई दे सही

फिजाओं से भी सुनो!!

यही आवाज आ रही…

कुछ समय हमारे लिए भी

निकालो मेरे मन माही,,

-सीमा गुप्ता

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