“भावना का कोई मोल नहीं”

भावना का कोई मोल नहीं यह दिल का अनमोल उपहार।
देख पीड़ा किसी की मन की भावना के खुल उठते है द्वार।।
कभी भावना सुख की तो कभी है दुख की मार।
बिना भावना के जीवन है निरर्थक और निराधार।।
भावना सच्ची जगाती दिलों में दिलों से प्यार।
करुणा दया और सहजता है इसके रूप आनाम।।
बिना भावना के हृदय लगे पत्थर के सामान।
पीड़ा देख पिघल उठे वही तो है सच्चा इंसान।।
कभी भावना खुशियों संग बह कभी दुख में करे विलाप।
निरंतर बहता रहता है भावनाओं का जीवन में सैलाब।।
भावनाएं अनंत है उसका कोई नहीं मोल और भाव।
यह कर देती हैं रिश्तो को और अधिक सुदृढ़ और प्रगाढ़।।
जैसी जिस की भावना हो वैसा दिखे चेहरे का ताप।
नज़र, नज़र को बताती किसमें कितना है सद्भाव।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”