Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

मोहब्बत

ये जिंदगी है मेरी इसको नगर ना समझो ।
में इश्क़ हूं तुम्हारा मुझे रहगुज़र ना समझो ।
नादान इक हवा के झोखें से डर गये हम ।
उड़ते हुए परिंदे को हमसफ़र ना समझो।
पानी से बह गये है आंसू मेरी आंखों से ।
ये दिल का मामला है इसको नहर ना समझो।
उम्मीद है तुम्हारी अब मुझको जिंदगी में।
ये प्यार का सफर है इसे इल्तिज़ा ना समझो।
Phool gufran

Language: Hindi
1 Like · 94 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अकेली रही जिन्दगी
अकेली रही जिन्दगी
surenderpal vaidya
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
पूर्वार्थ
****जानकी****
****जानकी****
Kavita Chouhan
मानो की शादी
मानो की शादी
manorath maharaj
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सामंजस्य
सामंजस्य
Shekhar Deshmukh
*माॅं की चाहत*
*माॅं की चाहत*
Harminder Kaur
कुछ न जाता सन्त का,
कुछ न जाता सन्त का,
sushil sarna
संजीवनी सी बातें
संजीवनी सी बातें
Girija Arora
भूप
भूप
Shriyansh Gupta
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
2999.*पूर्णिका*
2999.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यूं आंखों से ओझल हो चली हो,
यूं आंखों से ओझल हो चली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
द्वार मैं तेरे आऊं
द्वार मैं तेरे आऊं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
अकल की दुकान
अकल की दुकान
Mukund Patil
जिन अल्फाज़ो को, आवाज नहीं दे सकते।
जिन अल्फाज़ो को, आवाज नहीं दे सकते।
श्याम सांवरा
निवाला ( गीत )
निवाला ( गीत )
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*इन्हें भी याद करो*
*इन्हें भी याद करो*
Dushyant Kumar
मैं- आज की नारी
मैं- आज की नारी
Usha Gupta
प्यारा हिन्दुस्तान
प्यारा हिन्दुस्तान
Dinesh Kumar Gangwar
सहज रिश्ता
सहज रिश्ता
Dr. Rajeev Jain
राणा का शौर्य
राणा का शौर्य
Dhirendra Panchal
*** होली को होली रहने दो ***
*** होली को होली रहने दो ***
Chunnu Lal Gupta
कातिलाना है चाहत तेरी
कातिलाना है चाहत तेरी
Shinde Poonam
इन दरख्तों को ना उखाड़ो
इन दरख्तों को ना उखाड़ो
VINOD CHAUHAN
मिली नही विश्वास की, उन्हें अगर जो खाद
मिली नही विश्वास की, उन्हें अगर जो खाद
RAMESH SHARMA
मौसम को मत छेड़िए , दहकेगी फिर अग्नि ।
मौसम को मत छेड़िए , दहकेगी फिर अग्नि ।
Neelofar Khan
" गुलाब "
Dr. Kishan tandon kranti
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Loading...