Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2022 · 1 min read

गजल

राज राज ही रहे न है उन्हें सबर।
लीक आजकल मेरी वो कर रहे खबर।।
लिख रहा हूं विश्व का भविष्य देख कर,
वो मिटा रहे हैं ले के हाथ में रबर।
चांद को भी राहु के समान ढक रहे,
खोदते हैं इस तरह हमारी वो कबर।
दिख नहीं रहा है दूर-दूर आदमी,
स्यार बन गया है पर बता रहा बबर।
जिंदगी को दांव पर लगायें अर्थवश,
दूसरे के काम में करे लबर लबर।
देश प्रेमी खुश हुए जिगर को बेचकर,
घूमते हैं हाथ में लिये हुए तबर।।
—– डॉ.सतगुरु प्रेमी

Language: Hindi
1 Like · 207 Views

You may also like these posts

उत्कृष्ट हिन्दी
उत्कृष्ट हिन्दी
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
The leaf trying its best to cringe to the tree,
The leaf trying its best to cringe to the tree,
Chaahat
इम्तिहान
इम्तिहान
Mukund Patil
अनमोल जीवन के मर्म को तुम समझो...
अनमोल जीवन के मर्म को तुम समझो...
Ajit Kumar "Karn"
ये तलाश सत्य की।
ये तलाश सत्य की।
Manisha Manjari
न तुम भूल जाना
न तुम भूल जाना
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
कितने चेहरे मुझे उदास दिखे
कितने चेहरे मुझे उदास दिखे
Shweta Soni
*आर्य समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी की सहयात्रा*
*आर्य समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी की सहयात्रा*
Ravi Prakash
3905.💐 *पूर्णिका* 💐
3905.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बड़ी-बड़ी उपमाएं ,
बड़ी-बड़ी उपमाएं ,
TAMANNA BILASPURI
जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
डॉ. दीपक बवेजा
दिन आज आखिरी है, खत्म होते साल में
दिन आज आखिरी है, खत्म होते साल में
gurudeenverma198
स्पर्श
स्पर्श
Kavita Chouhan
परिचय ---- नाम- अरुण कुमार मिश्र
परिचय ---- नाम- अरुण कुमार मिश्र
श्रीहर्ष आचार्य
उन्होंने प्रेम को नही जाना,
उन्होंने प्रेम को नही जाना,
विनय कुमार करुणे
निष्कर्ष
निष्कर्ष
Dr. Kishan tandon kranti
प्रतिभा दमन, कारण एवं निवारण
प्रतिभा दमन, कारण एवं निवारण
Sudhir srivastava
पैसा अगर पास हो तो
पैसा अगर पास हो तो
शेखर सिंह
पूर्णिमा
पूर्णिमा
Neeraj Agarwal
हम दर्पण भी दिखलाते हैं
हम दर्पण भी दिखलाते हैं
श्रीकृष्ण शुक्ल
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
धर्म युद्ध जब चलना हो तो
धर्म युद्ध जब चलना हो तो
ललकार भारद्वाज
पुष्प अभिलाषी है ...
पुष्प अभिलाषी है ...
sushil sarna
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
डॉक्टर रागिनी
..
..
*प्रणय*
संवेदनहीन नग्नता
संवेदनहीन नग्नता"
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
माया मिली न राम
माया मिली न राम
Sanjay Narayan
A pandemic 'Corona'
A pandemic 'Corona'
Buddha Prakash
Loading...