दोहा पंचक. . . . . शब्द
दोहा पंचक. . . . . शब्द
तोल-तोल के बोलना, शब्द बड़े अनमोल ।
बिन सोचे बोलें अगर , घायल करते बोल ।।
मीठे बोलों का बड़ा , दिल पर पड़े प्रभाव ।
शब्द शरों से जो लगे,मिटते सारे घाव ।।
मुख से निकले शब्द कब ,लौटे मुख के द्वार ।
सदा नियन्त्रण में रहे, शब्दों का उच्चार ।।
अक्सर शब्दों के बड़े, गहरे होते घाव ।
नैनों से थमता नहीं, खारे जल का स्राव ।।
शब्द शरों के घाव का, कैसे हो उपचार ।
शब्दों में अपनत्व ही, हरता सकल विकार ।।
सुशील सरना / 23-2-25