मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
नया उल्लास आया
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नया उल्लास आया
मन – मस्तिष्क में उमंग लाया ।
खिल गये नये अंकुर
नया-नया मधुमास आया ।
भावना में संगीत बज उठा
नयनों में स्नेह का नीर आया ।
चल उठी वसंती बयार
कोयलों का कूकना मधुर आया ।
तितलियां मंडराने लगीं
मौसम फूलों का महकता आया ।
थिरक -थिरक नाचते हैं मोर
भ्रमरों को सुरमयी गुनगुनाना आया ।
नया उल्लास आया….
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा