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5 Mar 2025 · 1 min read

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नया उल्लास आया
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नया उल्लास आया
मन – मस्तिष्क में उमंग लाया ।

खिल गये नये अंकुर
नया-नया मधुमास आया ।

भावना में संगीत बज उठा
नयनों में स्नेह का नीर आया ।

चल उठी वसंती बयार
कोयलों का कूकना मधुर आया ।

तितलियां मंडराने लगीं
मौसम फूलों का महकता आया ।

थिरक -थिरक नाचते हैं मोर
भ्रमरों को सुरमयी गुनगुनाना आया ।

नया उल्लास आया….

– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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