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26 Nov 2024 · 1 min read

इश्क का वहम

इश्क का वहम
काश कि मैं मैं न होती, और तू तू न हुआ होता।
न मन में भावना होती, न कभी ये दिल रोता।
न किसी की प्रतीक्षा होती, न लौटने का वादा होता।
न किसी की आदत होती, न कुछ खोने का भय होता।
न शब्दों की कमी खलती, न चर्चा का विषय खोता।
न मैं किसी से मिलती, न इश्क का वहम होता।
काश कि मैं मैं न होती, और तू तू न हुआ होता।

लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’

2 Likes · 2 Comments · 83 Views
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