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12 May 2024 · 1 min read

गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,

गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
हर रोज़ इक नया सूरज, तो इक नया चांद उगाता हूं

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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