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24 Aug 2024 · 1 min read

दोहे

दोहे
जब-जब मुगलों ने किया, किसी धर्म पर वार।
बहन-बेटियों पर किया, पहले अत्याचार।।
यह है भूँखे भेड़िए, बहशी अपरम्पार।
पहले लूटें संपदा, करते यौनाचार।।
ममता, माया, केजरी, चाहे हों अखिलेश।
तुमको मरता छोड़कर, भागेंगे परदेश।।
हिंदू डरकर भागता, बचा-बचा ईमान।
इसीलिए तो छिन गए, तुर्की और ईरान।।
सबके अपने राष्ट्र हैं, मिलेगी उनको ठौर।
तुझ पर भारत के सिवा, देश न कोई और।।
तुझे बाँधकर एक दिन, करेंगे यह लाचार।
बुर्का पहने बेटियाँ, करेंगी चीख-पुकार।।
गाजा पर तुम रो रहे, याद न बंग्लादेश।
मुँह पर ताला पड़ गया, मौलाना अखिलेश।।
करछी, भाले, लाठियाँ, गेंती और कुंदाल।
बुरे समय की साथियाँ, इनको रखो संभाल।।
©दुष्यंत ‘बाबा’

Language: Hindi
85 Views
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