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25 Jul 2024 · 1 min read

✍️ दोहा ✍️

✍️ दोहा ✍️

यह तन दुःख की बेल री, पवन बहे मुरझाय।
मोह जगत ते लेत हैं, पंचतत्व मिलि खाय।।

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