हंस दोहा गीत
हंस दोहा
हंस दोहा गीत
14 गुरु 20 लघु
सृजन शब्द-शीत लहर
मौसम अब है ठंड का, कांपे थर थर गात।
शीत लहर है चल रही,झरे पेड़ से पात।।
तन को भाती धूप है, अच्छी लगती चाय।
घर-घर पिन्नी बन रही, जम कर सब हैं खाय।।
छोटे अब तो दिन हुए, कुछ-कुछ लंबी रात।
शीत लहर है चल रही,झरे पेड़ से पात।।
शबनम झरती घास पे,झटपट होती शाम।
धुंध पड़े है जोर की,मुश्किल हो सब काम।
नमन करो उस वीर को, सीमा पर तैनात।
शीत लहर है चल रही,झरे पेड़ से पात।।
सर्द हवा जब-जब चले, निर्धन हो बेहाल।
कुटिया जमती बर्फ सी, ओढ़न को नहि शाल।।
दुआ करे निशदिन यही, जल्दी मिले निजात।
शीत लहर है चल रही,झरे पेड़ से पात।।
सीमा शर्मा