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5 Jan 2025 · 1 min read

अंदाज़े शायरी

हमारी मुहब्बत हमारी आशिक़ी , उन्हें रास ना आई
क्यूँ कर उन्हें गुमां था , खुद पर इतना ||

चाहकर भी हम , पा ना सके उनको
क्यूँ कर उन्हें गुमां था , खुद पर इतना ||

कोशिशों में तो हमारी , कोई कमी न थी
क्यूँ कर अपने नखरों पर , उन्हें था गुमां इतना ||

एक अदद दीदार की , आरज़ू ही तो की थी हमने
क्यूँ कर था उन्हें अपनी खूबसूरती पर , गुमां इतना ||

“अनिल कुमार गुप्ता” “अंजुम”

1 Like · 17 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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