ताकि कोई मोहब्बत में कुछ भी कर गुजरने के लिए मुस्कान और साहि

ताकि कोई मोहब्बत में कुछ भी कर गुजरने के लिए मुस्कान और साहिल की मिसाल न दे…
जरूरी नहीं कि प्रेम पलट कर देखे ही देखे,
न पलटने की ठानकर भी ताउम्र कायम रहता है प्रेम…
जरूरी नहीं कि पहली नज़र में ही हो जाए प्रेम
अंतिम विदा पर आंखों से छलकी नमी सोखकर भी
दिल की बंजर जमीन पर उग जाता है प्रेम।
जरूरी नहीं कि इज़हार से ही माना जाए प्रेम
इंकार के इ से बिंदु हटा क के पास र सजाकर भी
अपने शब्द का अर्थ पा जाता है प्रेम।
ज़रूरी नहीं कि सोशल मीडिया पर ब्लॉक होकर मर जाता है प्रेम।
अनब्लॉक होने की सारी संभावनाएं चुक जाने के बाद भी पासवर्ड बनकर ज़हन में हिफाज़त से जिंदा रहता है प्रेम।
वो ‘कुछ कुछ’ जब भी, कभी भी कहीं भी किसी को भी महसूस होता है, तब उसे महसूस करिए।