रोहन की समझदारी: एक स्कैम से बचाव की प्रेरणादायक कहानी
रोहन की समझदारी: एक स्कैम से बचाव की प्रेरणादायक कहानी
एक दिन रोहन अपनी मम्मी के फोन में गेम खेल रहा था। उसकी आदत थी कि वह गेम खेलते समय फोन की आवाज कम कर देता था ताकि मम्मी को पता न चले कि वह फोन का उपयोग कर रहा है। लेकिन उस दिन गलती से वह फोन की आवाज कम करना भूल गया। तभी अचानक किसी अनजान नंबर से कॉल आया।
“रोहन बेटा, किसी का कॉल आ रहा है,” मम्मी ने कहा।
“लो मम्मी, किसी अंजान नंबर से कॉल आ रहा है,” रोहन ने फोन मम्मी की ओर बढ़ा दिया।
मम्मी ने फोन उठाया, “हैलो, आप कौन?”
दूसरी तरफ से गंभीर आवाज आई, “मैं पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूँ।”
मम्मी चौंक गईं, “हाँ जी, बताइए इंस्पेक्टर साहब।”
“आपका बड़ा बेटा मोहन हमारे थाने में है। हमने उसे जेल में बंद कर दिया है।”
यह सुनकर मम्मी घबरा गईं। रोहन भी पास ही खड़ा था और सारी बातें सुन रहा था।
“अगर आप चाहती हैं कि हम उसे छोड़ दें, तो कुछ कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी, जिसमें थोड़ा खर्चा आएगा। क्या आप सहमत हैं?” पुलिस वाले ने कहा।
मम्मी की आँखों में आँसू आ गए। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। डर और शर्मिंदगी के कारण उन्होंने धीरे से कहा, “हाँ, मैं अपने बेटे के लिए सब कुछ करूँगी, लेकिन कृपया यह बात किसी और को न बताएँ। अगर किसी को भनक भी लग गई तो हमारी बहुत बेइज्जती होगी।”
रोहन ने यह सब सुन लिया था। उसे स्कूल में साइबर सुरक्षा के बारे में सिखाया गया था और उसने टीवी पर भी ऐसे ठगों के बारे में देखा था। उसने तुरंत बिना मम्मी को बताए उस अंजान नंबर से आई कॉल की शिकायत साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर कर दी। साथ ही, उसने अपने दूसरे फोन से उस कॉल की डिटेल्स भी भेज दीं।
जाँच एजेंसी तुरंत सक्रिय हो गई। उन्होंने कॉल को ट्रैक करना शुरू कर दिया और जल्द ही उस व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर ली।
इसी बीच, मम्मी जैसे ही उस स्कैमर को पैसे देने वाली थीं, घर की डोरबेल बजी।
उन्होंने दरवाजा खोला तो सामने दो पुलिस वाले खड़े थे। उन्हें देखकर मम्मी डर गईं और घबराते हुए बोलीं, “सर, मेरे बेटे ने कुछ भी गलत नहीं किया, वह निर्दोष है। कृपया उसे छोड़ दें, मैं आपको पेमेंट कर दूँगी।”
पुलिस अधिकारी मुस्कुराए और बोले, “आपको डरने की जरूरत नहीं है, हम आपको नुकसान पहुँचाने नहीं आए हैं, बल्कि आपको बचाने आए हैं।”
मम्मी हैरान रह गईं, “लेकिन कैसे? एक तरफ तो कॉल करके कहा गया कि मेरा बेटा जेल में है, और दूसरी तरफ आप कह रहे हैं कि आप मुझे बचाने आए हैं?”
“जी हाँ, जिन लोगों ने आपको कॉल किया था, वे स्कैमर हैं। वे मासूम लोगों को डराकर उनसे पैसे ठगते हैं। लेकिन इस बार उनका जाल नहीं चला। आपका बेटा मोहन पूरी तरह सुरक्षित है,” पुलिस वाले ने समझाया।
मम्मी की आँखों में सवाल था, “लेकिन आपको कैसे पता चला?”
पुलिस अधिकारी ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमें आपके घर से एक कॉल आया था, उसके बाद हमने तुरंत एक्शन लिया और पता लगाया कि यह एक ठगी का मामला है।”
“लेकिन मैंने तो आपको कॉल नहीं किया, फिर किसने किया?” मम्मी ने चौंककर पूछा।
तभी रोहन हँसते हुए अंदर से आया और बोला, “मम्मी, मैंने किया फोन!”
मम्मी ने रोहन को गले लगा लिया और कहा, “मेरा बेटा अब बड़ा और समझदार हो गया है।”
उस दिन रोहन की सूझबूझ और जागरूकता ने उसकी माँ को एक बड़े धोखे का शिकार होने से बचा लिया। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें साइबर ठगों से सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश पर बिना पुष्टि किए विश्वास नहीं करना चाहिए।