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30 May 2024 · 1 min read

इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,

इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
तू पल पल अपना ये रंग क्यों बदलती रहती है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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