परिवार को ही सबसे सुरक्षित जगह कहते हम,

परिवार को ही सबसे सुरक्षित जगह कहते हम,
पर क्या परिवार में ही पूर्णतया सुरक्षित है हम,
आजकल का परिवार,परिवार कहां है कहलाता,
सबसे ज्यादा परिवार वालों से धोखा खाते हम।।
कहीं घरेलू हिंसा का शिकार हो रहा है बचपन,
कहीं यौन उत्पीड़न का शिकार बन रहा बचपन,
कहीं तो माँ-बाप के आपसी झगड़ों के कारण,
मानसिक तनाव से ग्रसित हो रहा मासूम बचपन।।
क्या ये बच्चे बड़े होकर हमारा भविष्य बन पायेंगे,
बच्चे क्या कभी सभ्य समाज निर्माण कर पायेंगे,
परिवार ही बच्चों का प्रथम गुरूकल है कहलाता,
गर परिवार गलत तो बच्चे कैसे सही बन पायेंगे।।
बढ़ती अपंग मानसिकता में बोलो दोष किसका है,
चारों और फैलती कैसी हैवानियत औ कामुकता है,
आज हम बच्चों को जो कुछ दे रहें है अगर कल,
बच्चे समाज को वापस दें इसमें दोष नहीं उनका है।।