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12 Mar 2025 · 1 min read

अपनी अदा औरों से थोड़ी जुदा-जुदा है,

अपनी अदा औरों से थोड़ी जुदा-जुदा है,
हर लफ़्ज़ में जज़्बात की सदा-सदा है।
रहते हैं ख़ामोश मगर असर ऐसा,
हर एक साया भी कहे कि वफ़ा-वफ़ा है।

चाहत हमारी किसी सौदे से कम नहीं,
दुनिया कहे दिल में हसरत-ए-ग़ुज़िश्ता-ब-ख़ुदा है।
यूँ तो बहुत हैं ज़माने में चाहने वाले,
मगर हमारे इश्क़ की रंगत जुदा-जुदा है….!😌🥰

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