लहरों से उठती यादों का,कोई तो किनारा होगा ही।

लहरों से उठती यादों का,कोई तो किनारा होगा ही।
साहिल मिले या आसमान,कोई तो ठिकाना होगा ही।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
लहरों से उठती यादों का,कोई तो किनारा होगा ही।
साहिल मिले या आसमान,कोई तो ठिकाना होगा ही।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”