Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
7 Mar 2025 · 1 min read

*आत्मश्लाघा के धनी, देते है अब ज्ञान।

*आत्मश्लाघा के धनी, देते है अब ज्ञान।
इससे उत्तम क्या रहा,विद्या का अपमान।।
गीता का व्याख्यान दे, लिप्त रहे निज देह।
कहे निराला देख लो, अंधड़ उगे सरेह।।
संजय निराला*

Loading...