“माँ ब्रह्मचारिणी”

दूसरा रूप है माँ ब्रह्मचारिणी का करो हृदय से प्रणाम।।
ब्रह्मचारिणी अवतार वो कहलाती है तप की वो चरणी।।
जन्म हुआ हिमालय के घर,पुत्री उनकी प्यारी कहलाई।
शंकर संग जायेगी ब्याही, नारद ने यह बात सबको बताई।।
कठिन तपस्या से ही माँ तपस्चारिणी और ब्राह्मचारिणी कहलाई।
एक हज़ार साल तक की कठिन तपस्या,फूल फल से जीवन बिताई।।
सौ वर्षों तक शाक खाकर किया नियहि अपना जीवन।
कई वर्षों तक तपती धूप और कड़ी ठंड में तपस्या करती रही।।
फिर खाए जमीन पर पड़े बेलपत्र और करती रही शिव आराधना।।
फिर कई वर्षों तक भूखी प्यासी घोर उपासना करती रही।।
कई साल कुछ ना खाने पर पड़ा अपर्णा नाम था उनका।।
देख आहत हुई माँ उनकी थी नाम पड़ा तब उमा ब्रह्मचारिणी।।
हाहाकार मचा तीनों लोकों में देख कठिन तपस्या भारी।।
सारे ऋषि मुनि सिद्धि गढ़ देवी देवता,गाने लगे उनकी गुणवाणी।।
तब ब्रह्मा जी ने की भविष्यवाणी मिलेंगे तुमको चंद्रमौली शिव जी।।
देता तुमको मैं यह आशीष होगी मुराद तुम्हारी यह पूरी।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”