सुना था,एक दोस्त बहुत क़रीब था…..,

सुना था,एक दोस्त बहुत क़रीब था…..,
जब भी कहती हूँ ये, गला जाने क्यों, रुंध सा जाता है…!!
मधु गुप्ता “अपराजिता”
सुना था,एक दोस्त बहुत क़रीब था…..,
जब भी कहती हूँ ये, गला जाने क्यों, रुंध सा जाता है…!!
मधु गुप्ता “अपराजिता”