जहाँ बोलते हुए ना सोचना पड़े,

जहाँ बोलते हुए ना सोचना पड़े,
और ना बतानी पड़े उदासी की वजह।
ख़ुशियो में ही नहीं दर्द में भी हाथ काँधे पे जिसका बना रहे,
सही मायने में वहीं सच्चा मित्र कहलाने लायक है…. !!
मधु गुप्ता “अपराजिता”
जहाँ बोलते हुए ना सोचना पड़े,
और ना बतानी पड़े उदासी की वजह।
ख़ुशियो में ही नहीं दर्द में भी हाथ काँधे पे जिसका बना रहे,
सही मायने में वहीं सच्चा मित्र कहलाने लायक है…. !!
मधु गुप्ता “अपराजिता”