“ना कृष्णा ना राम मिलेंगे”

लोभ मोह ना छोड़ोगे ना छोड़ोगे लालच का भंडार।
फिर कैसे पाओगे हृदय में,कृष्ण और राम का अवतार।।
झूठ बोल और रिश्वत देकर,जो पूरे करोगे अपने काम।
तो रह जाओगे इस दुनिया में, मिट्टी के पुतले के समान।।
मन के कोने में यदि भरकर रखोगे द्वेष,ईर्ष्या और अभिमान।
हर पल कुढ़ते जाओगे, नहीं मिलेगा सुकून और आराम।।
चम-चम दुनिया चमक रही,दिखलाकर औरों को झूठी शान।
पड़ गए तुम जो इस फंदे में,नहीं मिलेंगे प्यारे कृष्ण और राम।।
छोड़ो मोह के बंधन, दुनिया के जंजाल से हो कर आजाद।
तभी बनेगा सब काम तुम्हारा,चमकोगे तुम कुंदन सामान।।
नीयत सयानी मत रखना,ना रखना कोई अहंकार का ताज।
मिट जाएगी हस्ती तुम्हारी, रह जाओगे बिना पंख पंक्षी के समान।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
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