जो थे कल तक फूल वो आज काँटों में शुमार हो गये।

जो थे कल तक फूल वो आज काँटों में शुमार हो गये।
लो हम अपने अज़ीज़ों में अब खंज़र के समान हो गये।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
जो थे कल तक फूल वो आज काँटों में शुमार हो गये।
लो हम अपने अज़ीज़ों में अब खंज़र के समान हो गये।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”