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लहरों से उठती यादों का,कोई तो किनारा होगा ही।
Madhu Gupta "अपराजिता"

कागज़ कोरा ना रह जाए,
Madhu Gupta "अपराजिता"

"कल सुबह होगी मुलाकात"
Madhu Gupta "अपराजिता"

गुलिस्ता में जो भँवरा फूल संग चहकता है।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"उस दरवाज़े के अंदर प्रवेश करना कितना दुश्वार हो जाता है जहा
Madhu Gupta "अपराजिता"

"लम्हें कहाँ मिलते हैं"
Madhu Gupta "अपराजिता"

जो करोगे गलत काम तो सिर्फ नर्क के द्वार मिलेंगे।
Madhu Gupta "अपराजिता"

कर लेने दो थोड़ी नादानियां थोड़ी शरारत भी ज़िंदगी में जरूरी
Madhu Gupta "अपराजिता"

"रिश्तों की मृत्यु"
Madhu Gupta "अपराजिता"

"खुदगर्ज़ ज़माने में जब भी"
Madhu Gupta "अपराजिता"

"सत्य की परीक्षा"
Madhu Gupta "अपराजिता"

"शब्दों में खुशबू"
Madhu Gupta "अपराजिता"

ज़िंदगी और मौत के बीच का फ़ासला,रफ़्ता रफ़्ता घट रहा।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"भावना का कोई मोल नहीं"
Madhu Gupta "अपराजिता"

मौसम बदले लोग बदले और बदला संसार।
Madhu Gupta "अपराजिता"

जो थे कल तक फूल वो आज काँटों में शुमार हो गये।
Madhu Gupta "अपराजिता"

क्यों ख़ाली क्यों उदास रहे.....
Madhu Gupta "अपराजिता"

पेड़ सी सादगी दे दो और झुकने का हुनर डालियों से।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"तेरे द्वार पर"
Madhu Gupta "अपराजिता"

कुछ अच्छे तो कुछ बुरे निकले पर अनुभव बहुत खरे निकले।
Madhu Gupta "अपराजिता"

शीश नावती मैं अपना, सुन लो मेरे राम।
Madhu Gupta "अपराजिता"

ख़ुदा के फै़सले पे क्या ऐतराज़ करना ।
Madhu Gupta "अपराजिता"

कदम बढ़ाओ साथ खड़े हैं,कहने वाले मुंह फेरे खड़े हैं।
Madhu Gupta "अपराजिता"

कदम तेरे द्वार पे जब भी मेरे पड़े।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"कुछ ऐसा हो जाए"
Madhu Gupta "अपराजिता"

लिया गुलाल हाथ में,
Madhu Gupta "अपराजिता"

नदी से तकल्लुफ़ ना करो वो तो हमेशा प्यास बुझाती है।
Madhu Gupta "अपराजिता"

खुलकर दर्द जा़हिर भी नहीं कर पाते
Madhu Gupta "अपराजिता"

सुना था,एक दोस्त बहुत क़रीब था.....,
Madhu Gupta "अपराजिता"

धूप थी छाँव थी फूलों की बेशुमार बहार थी।
Madhu Gupta "अपराजिता"

ये क्या कम हैं कि नब्ज़ अब तक चल रही हैं।
Madhu Gupta "अपराजिता"

जब मैं बिख़र रही हूँ तो कोई ना मेरे नज़दीक आना।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"
Madhu Gupta "अपराजिता"

'क्या फ़र्क पड़ता है'
Madhu Gupta "अपराजिता"

जो पढ़ लेते दिल और दिमाग़ तो रोते कितनों के दिल ज़ार ज़ार।
Madhu Gupta "अपराजिता"

ना दो उपाधि देवी की बस मुझको साधारण नारी ही तुम रहने दो।
Madhu Gupta "अपराजिता"

धूप थी छाँव थी,फूलों की भी भरमार थी।
Madhu Gupta "अपराजिता"

मैं उस पल में ख़ुद को छोड़ आई हूँ
Madhu Gupta "अपराजिता"

आवाज़ दो, पुकारों ज़ोर से हमको।
Madhu Gupta "अपराजिता"

नींद बन गई है प्रीतम और मैं उसकी विरह की मारी।
Madhu Gupta "अपराजिता"

कठिन था बहुत कठिन था रुक कर किसी दर पे फ़िर से चलना बहुत कठि
Madhu Gupta "अपराजिता"

'महिला दिवस स्पेशल'
Madhu Gupta "अपराजिता"

"और बताओ"
Madhu Gupta "अपराजिता"

चले हैं सब यही सोचकर की मंज़िल हमको मिल ही जाएगी।
Madhu Gupta "अपराजिता"

घड़ी की रफ़्तार में देखो फंसे हैं हम सभी ऐसे।
Madhu Gupta "अपराजिता"

सभी के सभी बैठे हैं खरीदार ज़माने के।
Madhu Gupta "अपराजिता"

भरोसा मुक़द्दर से ज़ियादा जब ख़ुद पे हो जाए।
Madhu Gupta "अपराजिता"

"आता जाता मौसम"
Madhu Gupta "अपराजिता"

मैं हूँ, मुर्दा या जिंदा....
Madhu Gupta "अपराजिता"

जो कभी फूल थे, वो आज काँटों में शुमार हो गये।
Madhu Gupta "अपराजिता"